सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का सभी को इंतजार है, लेकिन सरकार जारी करने से डर रही है

5/5 – (1 vote)

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को काफी समय बीत चुका है। लेकिन अभी तक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक भी किश्त नहीं आई है। यहां तक कि दिवाली और धनतेरस में भी इसकी किश्त नहीं आई। अब केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधिकारी कहने लगे हैं कि यह पैसे जुटाने का महंगा टूल है। हिंदू बिजनेस लाइन ने इस बारे में एक रिपोर्ट लगाई है। कभी बड़े जोश-ओ-खरोश से लाया गया सॉपरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार के लिए जी का जंजाल बन गया दिखता है। सरकार ने अभी तक इसकी कोई किश्त चालू नहीं की है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से जब इस बारे में पूछा जाता है तो वे इस पर कुछ बोलने की बजाय इसे टाल जाते हैं। अभी पिछले दिनों जो बॉन्ड मैच्योर हुआ, उस पर निवेशकों को 159 फीसदी का भारी रिटर्न मिला है।

एसजीबी का लाभ

सरकार ने 2016-17 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का तीसरा निर्गम लाया था। इसकी मैच्योरिटी बीते हुई है। जिन्होंने बॉन्ड को भुनाया, उन्हें 159 फीसदी का भारी मुनाफा हुआ है। मतलब 2016 में इसका प्रति ग्राम इश्यू प्राइस 3007 रुपये था। इसे भुनाने पर निवेशकों को प्रति ग्राम 7,788 रुपये मिले। मतलब कि हर ग्राम पर 4,781 रुपये का लाभ।

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा

उन्होंने कहा कि यह रकम जुटाना का यह बहुत महंगा टूल साबित हो रहा है। इस वजह से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए जो बोरोइंग कैलेंडर जारी किया गया है, उसमें एसजीबी का कोई उल्लेख नहीं है। उस अधिकारी का कहना है कि यह कोई सामाजिक सुरक्षा योजना नहीं है कि इसे जारी ही किया जाए।

इसकी लास्ट किश्त कब जारी हुई

एसजीबी की अंतिम किश्त  (FY 2023-24 Series IV) को जारी की गई थी। 2023-24 के दौरान इस बॉन्ड से कुल 27,031 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस योजना की शुरुआत 2015 में हुई थी। तब से अब तक कुल 67 किश्त आ चुके हैं। इनके माध्यम से सरकार ने अब तक कुल 72,274 करोड़ रूपये जुटाए है।

एसजीबी की कीमत तय

एसजीबी की कीमत तय करने का एक तय पैमान है। इसकी कीमत बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड द्वारा 999 शुद्धता वाले गोल्ड की तीन वेल्यू के सामान्य औसत के आधार पर तय होती है। इस स्कीम में परिपक्वता पर सोने की बाजार में कीमत तो मिलती है।

ये भी पढ़े: SIP अक्टूबर में पहली बार आंकड़ा गया 25 हजार करोड़ के पार, पूरी जानकारी

निवेश करने पर अभी सालाना 2.5 फीसदी सालाना ब्याज भी दिया जा रहा है। ब्याज की यह रकम हर 6 महीने के आधार पर दी जाती है। यही सरकार के लिए जी का जंजाल बन रहा है।

केंद्र सरकार ने बजट पेश किया

केंद्र सरकार ने इस साल का बजट पेश किया था, तभी इस पर कैंची चला दी गई। उसमे संकेत दे दिया गया था कि पहले के मुकाबले कम गोल्ड बांड जारी होंगे। अब सरकारी अधिकारी भी दबे-छुपे स्वीकार करने लगे हैं कि यह पैसे जुटाने का महंगा टूल है।


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *